पितृ प्राणायाम – पितृ दोष मुक्ति का उपाय
🌿 श्वासों की पाठशाला – Breathing Workshop 5
लेखक: कृष्णा गुरुजी | अपडेट: मई 2025
यह ब्लॉग पितृ दोष की आध्यात्मिक चिकित्सा को प्राणायाम द्वारा समझाता है।
🎥 पितृ प्राणायाम पर वीडियो देखें:
पितृ दोष या पितृ की कृपा?
कृष्णा गुरुजी कहते हैं कि ज्योतिष में जिसे ‘पितृ दोष’ कहा गया है, वह दरअसल पितरों की अपूर्ण इच्छाओं का संकेत है। यह दोष नहीं, बल्कि हमारी चेतना को उनके प्रति सजग करने का अवसर है।
पितृ प्राणायाम क्या है?
यह एक विशेष प्रकार का अनुलोम विलोम प्राणायाम है जिसमें श्वास लेते और छोड़ते समय अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाता है।
कैसे कार्य करता है यह प्राणायाम?
चंद्र नाड़ी (बाईं नासिका) माता वंश की ऊर्जा को और सूर्य नाड़ी (दाईं नासिका) पिता वंश की ऊर्जा को नियंत्रित करती है। जब हम अपने पितरों का ध्यान करते हुए श्वास संचालन करते हैं, तो हमारी चेतना ब्रह्मांडीय पितृ ऊर्जा से जुड़ जाती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम से जुड़ाव
पितृ प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम की एक आध्यात्मिक विधि है जिसमें पितरों का स्मरण करते हुए नासिका से श्वासों का संतुलन साधा जाता है। यह प्राचीन श्वास विधि नाड़ी शुद्धि और पितृ कृपा दोनों में सहायक है।
पितृ प्राणायाम करने की विधि
- सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं, रीढ़ सीधी रखें।
- दाएं हाथ की अंगूठी और छोटी उंगली से नासिका बंद करने की विशुद्ध मुद्रा बनाएं।
- बाईं नासिका से श्वास लें और अपनी माता जी का चेहरा ध्यान में लाएं।
- दोनों नासिकाएं बंद कर श्वास रोकें और माता-पिता दोनों का ध्यान करें।
- दाईं नासिका से श्वास छोड़ें और पिता जी का चेहरा ध्यान करें।
- अब दाईं से श्वास लें – दादा जी का ध्यान करें।
- श्वास रोकें – दादा-दादी दोनों का स्मरण करें।
- बाईं नासिका से श्वास छोड़ें – नानीजी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें।
- यह प्रक्रिया 11, 21 या 51 बार दोहराएं।
विशेष ध्यान योग्य बातें
- प्रातः काल सूर्योदय के समय करें।
- प्राणायाम के बाद कुछ क्षण मौन में रहें।
- पितरों के नाम यदि ज्ञात हों तो उन्हें मन में उच्चारित करें।
- श्राद्ध पक्ष या अमावस्या को विशेष लाभकारी माना जाता है।
पितृ प्राणायाम का लाभ
- पितृ कृपा का अनुभव होता है।
- अनजाने भय और मनोविकार दूर होते हैं।
- परिवार में मानसिक शांति और सौहार्द बढ़ता है।
- वास्तविक ‘कर्म योग’ और ‘श्रद्धा’ का अभ्यास होता है।
कृष्णा गुरुजी का संदेश: “पितृ दोष को दोष न समझें – यह पितरों की चेतना से जुड़ने का आमंत्रण है।”