🌿 ब्रीदिंग वर्कशॉप – आधुनिक जीवन के लिए प्राचीन योगिक ज्ञान
लेखक: कृष्णा गुरुजी | अपडेट: मई 2025
यह ब्लॉग Cornerstone Content के रूप में चिह्नित है – आध्यात्मिक श्वास चिकित्सा और आत्म-चेतना के लिए।
अनुलोम विलोम प्राणायाम – सांसों में संतुलन, जीवन में समाधान
योग की एक प्राचीन तकनीक है। यह श्वासों को संतुलित करने और जीवन में स्थिरता लाने के लिए जाना जाता है। सबसे पहले, यह फेफड़ों की क्षमता को सुधारता है और शारीरिक ऊर्जा को सक्रिय करता है। इसके अलावा, यह मानसिक तनाव को कम करने में उपयोगी साबित होता है। उदाहरण के लिए, जिन लोगों को बेचैनी, अनिद्रा या चिड़चिड़ापन रहता है, उन्हें इस अभ्यास से लाभ होता है। अंततः, यह साधना शरीर, मन और आत्मा को एक सूत्र में जोड़ने में मदद करती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है?
‘अनुलोम’ का अर्थ होता है सही दिशा में, जबकि ‘विलोम’ का अर्थ होता है विपरीत दिशा में। इसलिए, इसे ‘नाड़ी शोधन प्राणायाम’ भी कहा जाता है, जिसमें बारी-बारी से नासिका छिद्रों से श्वास लेना और छोड़ना शामिल होता है। वास्तव में, यह प्रक्रिया शरीर को ऊर्जा और मन को स्थिरता प्रदान करती है। कैसे करें?
इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में बैठें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। फिर, दाहिनी नासिका को अंगूठे से बंद करके बाईं नासिका से धीरे-धीरे श्वास लें। इसके बाद दोनों नासिकाओं को हल्के से बंद करके सांस को कुछ क्षण रोकें। अब दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को विपरीत दिशा से दोहराएं — दाहिनी से श्वास लें और बाईं से छोड़ें। पूरे अभ्यास को 5 से 10 मिनट तक करें, और मन को पूरी तरह सांस की गति पर केंद्रित रखें।
लाभ
यह प्राणायाम शरीर की ऑक्सीजन क्षमता को बढ़ाता है और फेफड़ों को सशक्त करता है। सबसे पहले, यह रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करता है और हृदय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, यह मानसिक तनाव और चिंता को घटाने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, अनिद्रा, घबराहट या क्रोध से पीड़ित व्यक्ति इससे राहत पा सकते हैं। परिणामस्वरूप, यह अभ्यास मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है और ध्यान के लिए आवश्यक आंतरिक शांति की भूमि तैयार करता है। अंततः, यह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन का माध्यम बन जाता है।
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
- मस्तिष्क के दोनों गोलार्धों को संतुलित करता है
- कॉर्टिसोल हार्मोन को कम करता है
- सुषुम्ना नाड़ी को सक्रिय करता है
- ध्यान में गहराई लाता है और मन को शांत करता है
अनुलोम विलोम प्राणायाम के अभ्यास से आप शारीरिक, मानसिक और आत्मिक सभी स्तरों पर संतुलन प्राप्त कर सकते हैं। यह विधि नियमित रूप से करने पर जीवन की गुणवत्ता को अद्भुत रूप से बदल सकती है।
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समय: सोमवार से शनिवार, रात 8:30 बजे IST
🙏 गुरु संदेश
“जब आपकी सांस संतुलित होती है, तो आपका जीवन दिव्य हो जाता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम शारीरिक और आत्मिक अस्तित्व के बीच सेतु है।”
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