अस्थमा प्राणायाम – कृष्णा गुरुजी की ब्रीदिंग वर्कशॉप से दमा में राहत
दमा का इलाज प्राणायाम से अब संभव है। श्वास आधारित चिकित्सा के रूप में, कृष्णा गुरुजी ने अस्थमा प्राणायाम को एक वैदिक समाधान के रूप में सिखाया है। यह पद्धति जन्म नक्षत्र और चंद्र दोष को संतुलित करके फेफड़ों को राहत देती है।
🌕 वैदिक ज्योतिष और श्वास – चतुर्थ भाव और चंद्रमा का संबंध
वैदिक ज्योतिष में चतुर्थ भाव फेफड़ों से जुड़ा होता है और चंद्रमा श्वास का प्रमुख ग्रह माना जाता है। यदि कुंडली में बुध कमजोर हो, तो दमा का इलाज प्राणायाम से जैसे उपाय विशेष रूप से लाभकारी होते हैं।
🧘♂️ दमा का इलाज प्राणायाम से – चरण 1: अनुलोम विलोम एवं जन्म स्मरण
- सुखासन में बैठें। आंखें बंद करें और अपना जन्म नाम, नक्षत्र, स्थान व समय स्मरण करें।
- दायां नासाछिद्र बंद कर बाएं से गहरी श्वास लें।
- श्वास रोककर मन ही मन नक्षत्र या नाम का जप करें।
- बाएं बंद कर दाएं से श्वास छोड़ें।
- इस चक्र को 11 बार दोहराएं।
🌬 चरण 2 – भावनात्मक जुड़ाव व फेफड़ों की पूरी क्षमता
- ह्रदय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करें और अपनी माता का चेहरा मन में लाएं।
- दोनों नासाछिद्रों से गहरी श्वास लें जिससे फेफड़े 100% भरें।
- मुंह से धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए भावनात्मक भार को छोड़ें।
- इस क्रिया को 11 बार दोहराएं।
🔥 चरण 3 – चंद्र सक्रियण हेतु भस्त्रिका
भस्त्रिका प्राणायाम श्वास को तीव्र करता है, ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है और श्वास आधारित चिकित्सा के रूप में चंद्रमा को सक्रिय करता है। यह फेफड़ों, वाणी और मानसिक ऊर्जा को संतुलित करता है। भस्त्रिका को 30 सेकंड करें, फिर विश्राम करें – 3 राउंड।
🌟 श्वास आधारित चिकित्सा – डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग
डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग में श्वास को ग्रहों की ऊर्जा से जोड़ा जाता है। यज्ञ या पूजा की बजाय श्वास आधारित चिकित्सा से चंद्र दोष व अस्थमा में राहत पाई जाती है।
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