केतु-सिंह संयोग में शनि मंदिर में ध्वजारोहण: नेतृत्व परिवर्तन के संकेत
उज्जैन, 18 मई 2025:
आज त्रिवेणी स्थित शनि नवग्रह मंदिर में एक आध्यात्मिक आयोजन हुआ। कृष्णा गुरुजी के सान्निध्य में सभी ग्रहों के शिखर ध्वजों का वैदिक मंत्रों द्वारा पूजन एवं परिवर्तन किया गया। यह आयोजन राहु-केतु के 18 वर्षों बाद हुए राशि परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए संपन्न हुआ।
ध्वजारोहण की शुरुआत भस्मारती जल से की गई ध्वज स्नान विधि से हुई। ग्रह मंत्रों के साथ नवग्रहों का आवाहन कर सर्वप्रथम सूर्य देव की सिंह राशि का ध्वज बदला गया। इसके बाद क्रमशः शनि, राहु, और अन्य ग्रहों के ध्वजों का परिवर्तन हुआ।
केतु और ध्वज का आध्यात्मिक संबंध
कृष्णा गुरुजी ने बताया कि “शिखर पर फहराया गया ध्वज केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।” केतु का सूर्य की राशि में प्रवेश और राहु का शनि की राशि में जाना – दोनों ही सामाजिक व राजनीतिक बदलाव के संकेत देते हैं।
नेतृत्व परिवर्तन का संकेत
कृष्णा गुरुजी ने याद दिलाया कि “2007 में जब केतु सिंह में था, तब देश को प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल मिली थीं। अब 2025 में वही योग पुनः बना है।” यह युवा महिला नेतृत्व के उदय का संकेत हो सकता है।
श्रद्धालु बने साक्षी
पूजन का संचालन शैलेन्द्र त्रिवेदी द्वारा किया गया। आयोजन में अनिल कुमार, राजेंद्र शर्मा, अर्जुन परमार, महाकाल भक्त सुनील जैन सहित कई श्रद्धालु एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आने वाले समय के संकेतों को पहचानने की आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है।