“राहु-केतु राशि परिवर्तन पर शनि मंदिर में ऐतिहासिक ध्वजारोहण”

18 वर्षों बाद हुए राहु-केतु के राशि परिवर्तन पर कृष्णा गुरुजी ने उज्जैन के शनि नवग्रह मंदिर में शिखर ध्वजारोहण का आयोजन किया। दैनिक भास्कर में प्रकाशित इस आयोजन में हर ग्रह के अनुसार अलग ध्वजा फहराई गई, ऊर्जा संतुलन का अनूठा संदेश दिया गया।

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राहु-केतु राशि परिवर्तन पर शनि मंदिर में ऐतिहासिक ध्वजारोहण

प्रकाशन तिथि: 18 मई 2025स्थान: शनि नवग्रह मंदिर, उज्जैन18 वर्षों के बाद राहु-केतु ने 18 मई 2025 को राशि परिवर्तन किया, जिसमें राहु कुंभ और केतु सिंह राशि में प्रवेश कर गए। इस विशेष खगोलीय घटना के अवसर पर कृष्णा गुरुजी द्वारा उज्जैन के प्रसिद्ध शनि नवग्रह मंदिर में एक अद्वितीय शिखर ध्वजारोहण का आयोजन किया गया।

केतु और ध्वजा का आध्यात्मिक संबंध

कृष्णा गुरुजी ने बताया कि किसी भी मंदिर के शिखर पर फहराया गया ध्वज, वास्तव में केतु ग्रह की ऊर्जात्मक उपस्थिति

प्रत्येक ग्रह के लिए अलग ध्वजा और शिखर

शनि नवग्रह मंदिर की विशेषता यह है कि हर ग्रह के लिए अलग-अलग शिखर और भूगर्भ मौजूद हैं। इस ध्वजारोहण में सभी ग्रहों की ऊर्जा के अनुरूप ध्वज फहराए गए:

  • सूर्य: लाल रंग
  • चंद्र: सफेद रंग
  • मंगल: लाल रंग
  • बुध: हरा रंग
  • गुरु: पीला रंग
  • शुक्र: सफेद रंग
  • शनि: काला रंग

ध्वजा से ऊर्जा संतुलन – एक वैज्ञानिक आध्यात्मिक पहल

यह आयोजन केवल परंपरा नहीं बल्कि ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने की एक वैज्ञानिक आध्यात्मिक पहल है। कृष्णा गुरुजी ने बताया कि जैसे ध्वजा हवा में लहराकर ऊर्जा का संचार करती है, वैसे ही यह ब्रह्मांडीय कंपन को संतुलित करने में सहायक होती है।

समाप्ति

यह ध्वजारोहण केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि कलयुग में नव दिशा देने वाला संकेत है, जहां ज्योतिष, वास्तु और अध्यात्म का समन्वय आधुनिक युग के लिए संदेश दे रहा है।यह घटना दैनिक भास्कर (उज्जैन संस्करण) में 18 मई 2025 को प्रमुखता से प्रकाशित हुई।

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