में औऱ मेरी स्वार्थी दीवाली की बधाई

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सालों से दीवाली पर्व मनाते आ रहे है  बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद एवम छोटो को प्यार देते आ रहे है
गत वर्षों से न जाने समाज को क्या हुआ की त्योहार भी अपने धर्मो के हिसाब से  बांट लिये।
रही बात मेलजोल ,आने जाने की वो भी अपने स्वार्थ एवम इगो से बांध ली। आज कही जाने की सोचते है तो प्रश्न आता है वो नही आया तो में क्यों जाऊ।
येह हमे हमसे ओहदे ,पद, में बड़े ,जहा हमारा स्वार्थ जुड़ा है उन लोगो के बारे में सोचने में नहीं आता वहां हैम तत्काल पोहच अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते है
 ऐसा क्यों
उसका फ़ोन नही आया तो में क्यों लगाऊ  ।कही में छोटा न बन जाऊं
त्योहार आते ही इसलिये है कि आपस मे मेल जोल बना रहे। पर हम आपस मे मेलजोल बढ़ाने की बजाय हमारे स्वार्थ, अहंकार से मेल जोल ज्यादा रखना चाहते  है।
बड़े रुतबे से व्हाट्सएप या फेसबुक पर आई बधाई देख अपनी प्रतिष्ठा पर गर्व करते है।पर ध्यान से देखोगे तो उसका चंद % ही एक साल में आपसे मिला है या जानता है
भ्रम स्वार्थ अहंकार की दुनिया से बाहर निकलो
जाना है तो सबसे पहले अपने नोकर के घर जाओ।अपने माली के घर जाओ।जहा उनको खुशी मिले ।वहां सच्चा सत्कार होगा।
कहने को बोहत कूछ है जो आप इतने से ही समझ गए होंगे।
1अगर सर्वेंट ,वुजुर्गो के घर गए शनि देव खुश होंगे
2 अपने सफाई कर्मी के घर गए तो राहु देव खुश होंगे।
3 अगर भाई बहनों मित्रों के घर गए तो मंगल देव खुश होंगे।।
4 अगर अपने शिक्षक के घर गए तो गुरुदेव खुश होंगे।
5 अगर अपने मामा के परिवार में गए तो बुध देव खुश होंगे
6सूर्य चंद्र तो माता पिता के स्मरण से ही खुश हो जाते है
पर येह सोच कर मत जाना कि यहां जाऊंगा तो येह ग्रह ठीक होगा।अपेक्षा रहित मिलने जाये किसी को खुशी देने घर जाए
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Read more »Posted by KrishnaGuruji at 9:12 PM3 comments: Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to FacebookShare to PinterestLabels: #diwali #दीवाली मिलन #ग्रहों को खुश कैसे करे #krishnaguruji #divineastrohealing

SUNDAY, OCTOBER 6, 2019

स्वयं के राम से स्वयं के रावण का दहन

“स्वयं के राम से स्वयं के रावण का दहन”वर्षों पुरानी परंपरा विजयादशमी पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये मनाया जाता है।
शास्त्र कहते है कि रावण का दाह संस्कार नहीं हुआ था।इसी लिए रावण का दहन करना एक परंपरा बन गई।

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इस कलयुग में रावण दहन मात्र एक खेल से बन गया है।अपने छोटे बच्चो को रावण दहन दिखाना मात्र मनोरंजन का साधन बन चुका है एवम राजनीति लोगो के लिए राजनीतिक अखाड़ा।

सब जानते है कि रावण एक  सर्व ज्ञानी ब्राह्मण था जो असुर वंश में पैदा हुआ था।पर अपनी शिव साधना से शिव तांडव रच शिव की असीम कृपा का पात्र बना
येह वही रावण है जिसने अपनी मंत्र शिव साधना से ग्रहों को अपने वश में किया। यहां तक राम सेतु के निर्माण के वक़्त राम द्वारा ब्राह्मण कार्य का आमंत्रण देने पर विधिवत पूजन भी  किया  किसी इंसान की मंशा एवम कर्म देखना चाहिए

रावण के जन्म के बारे में सबके अलग अलग मत है।एक सम्प्रदाय तो रावण को विद्याधर कहता है

आज के इस कल युग मे क्या विजयादशमी दशहरा का मतलब सिर्फ रावण दहन कर एक दूसरे को विजया दशमी की वधाई देना है ।आज के परिवेश में तो सिर्फ येह वधाई व्हाट्सएप्प फेसबुक की बली चढ़ गई है
क्या आपने बताया बच्चों को की रावण कौन था रावण की क्या अच्छाई थीं क्या बुराई थी।इंसान अच्छाई बुराई का मिला जुला पुतला है 
आज की इस युग मे जरूरी है अपने अंदर के राम रूपी गुण  एवम रावण रूपी  अवगुणों के चिंतन की।
इसी जन्म में आपकी शारीरिक वैचारिक क्रिया किसी रावण के अवगुणों से कम नही थी।या राम के गुणों समान
आज हमे स्वयं अधिकांश लोगी में कितना अहंकार रहता है अपनी शक्तियों पर वो भले  शारीरिक हो राजनीतिक हो या धन की हो।तो रावण भी कहा गलत था अगर उसे अहंकार था अपने तन बल धन बल पर इतना अहंकार की शिव पार्वती सहित कैलाश पर्वत को उठाने का साहस किया नारद के कारण।अहंकार भी था पर दुराचारी स्त्रियों के साथ नही  था इस लिए की उसने अपनी छाया भी सीता जी के करीब नही आने दी अशोक वाटिका में रखा
इस लेख के माध्यम से में येह बताना चाहता हु की आज के युग के रावण कही ज्यादा गुना बुराई युक्त है।बजाय उस युग के रावण के
बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में त्योहार मनाने वालो रावण की बुराई के साथ साथ उसकी अच्छाई पर भी ध्यान दो
एवम अपने अंदर की इस पल तक कि बुराई को दहन में जला अपनी अच्छाई की जीत रूपी विजया दशमी मना स्वयं को बधाई दे
आइये आज जरा इस युग के रावणो पर नज़र डालें कितने ही आध्यात्मिक संत अपने कुकर्मो से ईश्वर रूपी बन कन्याओं का शारीरिक शोषण कर कारावास में है
आज कितने ही अज्ञात रावण बुरी निगाहों के साथ समाज मे है पर ऊपरी मुखोटा राम का है।आप स्वयं जानते होंगे पर बोलने का साहस नही ।

अन्याय करना एवम अन्याय सहना दोनों बराबर है।अगर किसी की बुराई का बखान करते है तो  अच्छाई का भी करे  ।आज समय है कि सदियों से चली आ रही परम्परों  को एक नई सोच दे वरना आने वाला युवा इसे बदल देगा

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