राम नवमी 2025: “पुरुषार्थ दिवस” के रूप में — एक आह्वान “मुझ में राम”

A symbolic image showing the conflict between religion and humanity in Kaliyug

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कलयुग पुराण से कृष्णा गुरुजी का संदेश

“आज के युग में राम को उनके गुणों में ढूंढें, केवल मूर्ति में नहीं।”
— कृष्णा गुरुजी, कलयुग पुराण
राम नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, धर्म, कर्तव्य और मर्यादा की प्रेरणा है।
इस वर्ष कृष्णा गुरुजी के मार्गदर्शन में राम नवमी 2025 को “पुरुषार्थ दिवस” के रूप में मनाया जाएगा — एक ऐसा दिन जब हम अपने भीतर के राम को जागृत करने का संकल्प लें।

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राम कौन थे — और आज के युग में राम कौन है?
भगवान राम पंचतत्वों से बना हुआ एक मानव शरीर लेकर धरती पर अवतरित हुए थे।
उन्होंने हर संबंध में कर्तव्य और मर्यादा का पालन किया:
एक पुत्र के रूप में पिता की आज्ञा शिरोधार्य की
एक भाई के रूप में प्रेम और त्याग दिखाया
एक पति के रूप में पत्नी की रक्षा की
एक राजा के रूप में प्रजा की इच्छा को सर्वोपरि रखा
पर आज की दुनिया में अधिकतर लोग अपने स्वार्थ और रिश्तों की सीमित सोच में उलझे हैं।
हम सेवा भी करते हैं तो उसका प्रदर्शन ज़्यादा होता है।

आज के युग के “राम” कौन हैं?

जिस वैज्ञानिक ने वेंटिलेटर या ऑक्सीजन मशीन का आविष्कार किया —
जिस डॉक्टर ने महामारी में हजारों जानें बचाईं —
जो पिता, भाई या बेटा अपने रिश्तों में न्याय करता है —
वही आज का राम है।

राम केवल पूजा जाने के लिए नहीं आए थे, वे जिए जाने के लिए आए थे।
अब समय है कि हम अपने आसपास और अपने भीतर राम जैसे पुरुषार्थ को पहचानें और नमन करें।
राम नवमी को “पुरुषार्थ दिवस” क्यों मनाएं?
हर वर्ष हम राम नवमी पर रामलीला देखते हैं, चौपाई पढ़ते हैं, भक्ति करते हैं


लेकिन राम जी के गुणों को जीवन में कितना उतारते हैं?

राम को बड़ा भाई, आदर्श पति, न्यायप्रिय राजा, आज्ञाकारी पुत्र और सच्चा मित्र माना गया।
उन्होंने हर रिश्ते के साथ न्याय किया — बिना किसी भेदभाव के।

इस वर्ष हम ऐसे व्यक्तियों का सम्मान करेंगे जो राम समान जीवन जी रहे हैं —
जो हर रिश्ते में न्याय कर रहे हैं, मर्यादा में जी रहे हैं।

इस राम नवमी पर करें संकल्प: “राम मुझ में है”

पुरुषार्थ दिवस पर समाज को दिखाएं कि आज भी राम जीवित हैं।

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