Krishna Mishra – Navratri 2024

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मां के गर्भ के नौ माह और नवग्रह से नवरात्रि पर्व का गहरा संबंध
नवग्रहों और मां के गर्भ में बच्चे के नौ महीनों का गहरा संबंध नवरात्रि पर्व से जुड़ा हुआ है।
नवरात्रि क्या है?

यह पर्व मौसमों के मिलन के पहले नौ दिनों का प्रतीक है, जिसे नवरात्रि कहा जाता है। साल में चार मुख्य नवरात्रियां होती हैं, जिनमें से दो गुप्त और आध्यात्मिक साधकों के लिए मानी जाती हैं, जबकि दो गृहस्थ लोगों के लिए होती हैं।
नवग्रह और नौ माह का संबंध
नवरात्रि और नवग्रहों का संबंध मां के गर्भ में शिशु के नौ महीनों के विकास से भी है। जैसे गर्भ में शिशु का विकास क्रमशः होता है, वैसे ही नवरात्रि के नौ दिनों में शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण तीन चरणों में होता है – पहले तीन दिन तमस के, अगले तीन दिन रजस के, और फिर अगले तीन दिन सत्व के। नवरात्रि के दौरान साधक जप, तप, और व्रत के माध्यम से अपने शरीर में मौजूद शक्ति तत्व की उपासना करते हैं, जिससे वे नौ ग्रहों के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं।

शरीर के सात चक्रों से संबंध

नवरात्रि का संबंध न केवल ग्रहों से है, बल्कि शरीर के सात मुख्य चक्रों से भी है। हर दिन देवी का एक रूप, एक विशिष्ट चक्र की ऊर्जा से जुड़ा होता है:

  1. मूलाधार चक्र – शैलपुत्री
    ग्रह शनि तत्व पृथ्वी
    आलस्य रूपी नकारात्मकता को उत्साह की ऊर्जा में बदलती हैं।
  2. स्वाधिष्ठान चक्र – ब्रह्मचारिणी
    कामुक विचारों का नाश कर रचनात्मक प्रवृत्ति को बढ़ाती हैं।
    ग्रह गुरु (जल तत्व)
  3. मणिपुर चक्र – चंद्रघंटा
    ईर्ष्या को दूर कर उदार भाव पैदा करती हैं।
    (कहावत: “वो तरक्की कर रहा है, तेरा पेट क्यों दुख रहा है?”)।
    ग्रह मंगल अग्निसार
    तत्व अग्नि
  4. ह्रदय चक्र – कुष्मांडा
    भय को दूर कर प्रेम को बढ़ाती हैं।
    (डर लगने पर आपका हाथ अपने आप छाती पर चला जाता है।)
    ग्रह शुक्र तत्व वायु (श्वास,)
  5. विशुद्धि चक्र – स्कंदमाता
    अभिव्यक्ति की शुद्धता और सत्यता का प्रतीक हैं।
    ग्रह बुध (आकाश तत्व)
  6. आज्ञा चक्र – कात्यायनी, महागौरी और कालरात्रि
    ग्रह सूर्य,चंद्रमा
    क्रोध का विनाश कर सजगता बढ़ाती हैं।
    (क्रोध आने पर आपकी भौंहें सिकुड़ जाती हैं, और कुछ याद करना हो तो आपकी उंगली आज्ञा चक्र पर स्वतः चली जाती है।)
  7. सहस्रार चक्र – सिद्धिदात्री
    परम आनंद और परम शांति का स्थान।
    (सभी ग्रह वश में)

सभी साधकों का लक्ष्य जप, तप, और व्रत के माध्यम से शरीर की ऊर्जा को मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक पहुंचाना होता है। दुर्गा सप्तशती में देवी कवच का उद्देश्य भी शरीर के सभी अंगों पर ध्यान केंद्रित करना है, क्योंकि हर अंग का संबंध किसी न किसी देवी से होता है।

पहाड़ों पर माता का वास

ऋषि-मुनियों ने नवरात्रि के दौरान पहाड़ों पर देवी के दर्शन का विधान इसलिए बनाया, ताकि पहाड़ों पर चढ़ाई और उतराई से शरीर का व्यायाम हो सके। इससे पुराने मौसम के दोष पसीने के जरिए बाहर निकल जाते थे और व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती थी, जिससे वह आने वाले मौसम में स्वस्थ रह सके।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि के दौरान कन्याओं को भोजन कराना इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि साधक सभी विकारों से मुक्त होकर उन कन्याओं को भोजन कराते हैं, जिन्होंने कभी काम, क्रोध, लोभ, और अहंकार का अनुभव नहीं किया होता। ये कन्याएं नौ वर्ष तक की होती हैं, और उनके शुद्ध और निर्दोष स्वभाव को सम्मान देने के लिए उन्हें भोजन कराया जाता है।

नवरात्रि और पुत्री के जीवन का संबंध

ऋषि-मुनियों ने नवरात्रि पर्व को कथाओं के माध्यम से माता के नौ रूपों से जोड़ा है। यह पर्व उन लोगों के लिए खास महत्व रखता है, जिनके घर में बेटी का जन्म हुआ है। मां के नौ रूप से पुत्री का जीवन गहराई से जुड़ा होता है। आइए जानते हैं मां के नौ रूप और उनका पुत्री के जीवन से संबंध:

  1. शैलपुत्री – पुत्री का पहला रूप। जिस घर में बेटी का जन्म होता है, वह शैलपुत्री के रूप में जानी जाती है। इस अवस्था में कन्या का लालन-पालन माता-पिता करते हैं।
  2. ब्रह्मचारिणी – पुत्री का दूसरा रूप। यह अवस्था पुत्री के बाल्यकाल के बाद यौवन की ओर बढ़ने की प्रतीक है।
  3. चंद्रघंटा – पुत्री विवाह योग्य होती है और विवाह के बाद यह रूप धारण करती है।
  4. कुष्मांडा – विवाहित जीवन में प्रवेश कर पुत्री अपने परिवार के साथ प्रेम और प्रकाश फैलाती है।
  5. स्कंदमाता – जब पुत्री स्वयं मां बनती है, तो वह स्कंदमाता के रूप में पूजी जाती है।
  6. कात्यायनी – पुत्री परिवार की सुरक्षा और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाने का कार्य करती है।
  7. कालरात्रि – कठिनाइयों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है।
  8. महागौरी – जीवन के अंतिम चरण में शुद्धता और त्याग का प्रतीक होती है।
  9. सिद्धरात्री – अंततः मोक्ष प्राप्ति का स्वरूप।
    निष्कर्ष
    आज का युवा तर्क मांगता है, और हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी ज्ञान दिया, वह तर्कसंगत है। नवरात्रि पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए है, बल्कि यह शरीर की आरोग्यता को भी बढ़ावा देता है
    साधुवाद
    कृष्णा मिश्रा
    इंदौर 9826070286
    https://en.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra
navratri2024 #krishnahuruji

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