कलियुग पुराण – एक तर्क आधारित आध्यात्मिक ग्रंथ
कलियुग पुराण एक ऐसा ग्रंथ है, जो तर्क, विज्ञान और आध्यात्म को जोड़ता है। यह ईबुक आज के युवाओं को सनातन धर्म से तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ने का प्रयास करती है।
इस पुस्तक में त्योहारों, परंपराओं और अनुष्ठानों को केवल आस्था के रूप में नहीं देखा गया है। बल्कि, इन्हें व्यवहारिक जीवन का हिस्सा बताया गया है। उदाहरण के लिए, दीपावली की सफाई को केवल परंपरा नहीं, बल्कि मानसिक और पर्यावरणीय स्वच्छता का प्रतीक बताया गया है।
इसके अलावा, यह ग्रंथ यह स्पष्ट करता है कि धर्म का उद्देश्य डर पैदा करना नहीं है। बल्कि, इसका उद्देश्य आत्मबोध और आत्मनिर्भरता की भावना जगाना है।
इसलिए, यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी बन सकती है। इसके संदेश सरल हैं, फिर भी प्रभावशाली हैं।
हालांकि, यह एक ईबुक है, लेकिन इसका प्रभाव जीवन को दिशा दे सकता है। इसलिए, इसे अवश्य पढ़ें और दूसरों को भी साझा करें।
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गुरुजी का संदेश: “धर्म वह नहीं जो डराए, बल्कि वह है जो जीवन को दिशा दे।”