भगवान सिर्फ मूर्तियों में नहीं, इंसान के जज्बे में भी है

God is Not Just in Idols, but in Human Determination

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लेखक: कृष्णा गुरुजी

जब हम भगवान की शक्ति की बात करते हैं, तो अक्सर उसे किसी मूर्ति, मंदिर, या धार्मिक प्रतीकों में देखने की आदत होती है। लेकिन अगर हम अपने चारों ओर देखें, तो हमें यह एहसास होगा कि भगवान सिर्फ मूर्तियों में नहीं, बल्कि इंसान की बुद्धि, मेहनत, और संकल्प में भी प्रकट होते हैं।

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सुनीता विलियम्स जैसी अंतरिक्ष यात्री ने यह साबित कर दिया कि यदि इंसान में संकल्प और हिम्मत हो, तो वह अंतरिक्ष में भी लंबा समय बिता सकता है। विज्ञान और तकनीक ने आज ऐसे चमत्कार कर दिखाए हैं, जिन्हें पहले केवल ईश्वरीय शक्तियाँ माना जाता था। नेत्रदान और देहदान के माध्यम से मृत व्यक्ति के अंग किसी और के जीवन को संजीवनी दे सकते हैं। जो महिलाएँ कभी माँ नहीं बन सकती थीं, वे अब कृत्रिम गर्भधारण की सहायता से संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने वेंटिलेटर और कृत्रिम हृदय-फेफड़ों की सहायता से महीनों तक जीवन बनाए रखना संभव कर दिया है। यह सब हमें इस सत्य की ओर ले जाता है कि इंसान को भगवान ने सम्पूर्ण बनाकर भेजा है।

भगवान को इंसान में देखना सीखें

कोविड महामारी के दौरान डॉक्टर ही भगवान के रूप में सामने आए। जब हर तरफ भय और असहायता का वातावरण था, तब इन्हीं चिकित्सकों ने दिन-रात मेहनत करके अनगिनत लोगों का जीवन बचाया। यह घटना हमें यह समझने के लिए पर्याप्त है कि भगवान केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि इंसानों की सेवा, परिश्रम, और करुणा में भी बसते हैं।

प्रकृति की तरह इंसान भी स्वचालित है। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि ईश्वर ने हर इंसान को किसी न किसी विशेष उद्देश्य के लिए भेजा है। जब हम अपने भीतर छिपी शक्ति और विश्वास को पहचानते हैं, तब हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।

कृष्णा गुरुजी के अनुसार, “जब इंसान अपने भीतर छिपी संभावनाओं को समझ लेता है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है।” यही विचार उनके ग्रंथ कलयुग पुराण में स्पष्ट रूप से मिलता है।

आज जरूरत है कि हम भगवान को केवल मूर्तियों में न खोजें, बल्कि इंसान की सेवा, बुद्धिमत्ता, और परिश्रम में भी देखें। यही सच्ची भक्ति और आध्यात्मिकता है।

https://en.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra

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