नवरात्री का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ से है
दो मौसम के मिलन के प्रथम नो दिन नवरात्रि कहलाते है।नवरात्रि में व्रत रख शरीर की शुद्धिकरण क्रिया नवरात्रि कहलाती है
आज के युवा नव रात्रि को कैसे करे”
नव रात्रि का हर दिन हमारे रीड की हड्डी से जुड़े चक्रों से संबंध रखता है जिसे हम अलग अलग माताओं के नाम से जानते हैं
हमारे चक्र ही हमारे स्वभाव के कारण है जिसे बखूबी पुरानी कहावतों में दर्शाया गया हे ।आइए आज आने वाली नव रात्रि की साधना अपने शरीर से जोड़ते हे
पहलादिन
रात को सोते वक्त अपने अतीत को याद कर वर्ष तक के समय को कोई गलती आपसे मंशा गत या ना मंशा गत हुई हो उसको मूलाधार चक्र पर ध्यान के साथ समर्पित करे.यह आपके आलसी स्वभाव को दूर कर जीवन उत्साह से भर देगी।क्यू की एक आलसी व्यक्ति कभी उत्साही नही हो सकता और उत्साही आलसी
द्वितीय दिन
सुबह उठ अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र ,( अपनी जनेद्रीय के पीछे रीड की हड्डी की और अगर कामुक विचार आते हे तो इस स्थान पर ध्यान रख श्वास ले एवम खाली करे
आपके कामुक विचारो से मुक्ति मिलेगी जो क्रियाशील स्वभाव में बदलेगी
तृतीय दिन
अपना ध्यान नाभी पर रख अगर आपका स्वभाव ना चाह कर भी ईर्षा से ग्रस्त होता है अपना ध्यान नाभी पर रख श्वास चौड़े (कहावत है की वो कमा रहा है तेरा पेट क्यू दुखता है अर्थात ईर्षा का संबंध नाभी से है। ईर्षा का स्वभाव दूर कर अपनत्व उदारता बढ़ेगी
चौथे दिन
अपना ध्यान छाती की मध्य बिंदु याने ह्रदय चक्र पर रख जिस से भी भय रहता है अज्ञात भय रहता हे छाती पर ध्यान रख श्वास ले और चौड़े डर का स्वभाव खत्म होगा आप देखेगे जब भी हमें डर लगता है अचानक हमारा हाथ ह्रदय चक्र पर जाता हे मतलब भय का स्थान नाभी है एवम प्यार सकारात्मक ऊर्जा के रूप में ह्रदय चक्र से निकलता हे इसीलिए आप जब कहते है तुझे दिल से प्यार करता हु आपका हाथ अपने आप छाती पर ह्रदय चक्र पर जाता है
पांचवा दिन
अपना ध्यान अपने कंठ पर ले कर जाए श्वास ले एवम कंठ पर ध्यान रखते चौड़े जरा जरा सी बात पर रोना नहीं आएगा।साथ ही कंठ पर ध्यान रखते हुए जिन्होंने आपकी कभी भी मदद की हो किसी भी रूप में उनको कृतज्ञता दे।कृतज्ञता का स्थान भी कंठ चक्र होता है
6,7,8 दिन
अपना ध्यान अपने आज्ञा चक्र याने दोनो भो के बीच का स्थान पर श्वास ले कर चौड़े
एवम याद करे उन पलो को जब आप मंशागत ना मंशागत क्रोध अहंकार में आ गए थे
आप नोट करना जब आप गुस्से में होते है तो दोनो आईब्रो सिकुड़ जाती है जो यह बताती है क्रोध अहंकार का स्थान आज्ञा चक्र है।
वही कुछ याद करना हो तो आपकी एक उंगली अपने आप आज्ञा चक्र पर चली जाती है।इसका मतलब सजगता भी आज्ञा चक्र पर है
9 वे दिन
अपना ध्यान सिर की चोटी पर सहस्त्रधार चक्र पर श्वेत रंग की कल्पना कर शांति से बैठे
नव रात्रि की रात में किया गया चक्र ध्यान आपको आलस्य काम ईर्षा भय क्रोध से मुक्त करेगा
शरीर का शुद्धिकरण के लिए नवरात्रि आती है जो आपको निरोगी रखती है मौसम बदलने के वातावरण से ।
नव रात्री में अपने शरीर से जुड़ अपने स्वभाव रूपी विकार दूर करे
जिसके कारण आप लोगो समाज से दूर हो जाते हे
जय माता दी
कृष्णा कांत मिश्रा
कृष्णा गुरुजी
अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक हीलर
https://en.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra?wprov=sfla1